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क्या भारतीय मीडिया को और आजाद होना चाहिए?

जागरण जंक्शन फोरम
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वर्ल्ड प्रेस फ्रीडम इंडेक्स 2014 का सर्वे बताता है कि भारत विश्व के उन देशों में है जहां मीडिया को बहुत ही कम आजादी दी गई है। कुल 180 देशों में प्रेस फ्रीडम में भारतीय मीडिया को 140वें पायदान पर रखा गया है।


प्रेस और मीडिया की आजादी पर हमेशा बहस उठती रही है। जब से सोशल मीडिया (फेसबुक, ट्विटर आदि) विंग्स के रूप में सामने आया है यह चर्चा और भी बड़ी हो गई है। अभी कुछ दिनों पहले की बात है पी. चिदंबरम ने सोशल मीडिया की आजादी के लिए एक दायरा निर्धारित किए जाने की जरूरत बताई। इन सबमें जहां मीडिया को अभिव्यक्ति की आजादी का नाजायज फायदा उठाने की बात दिखती है वहीं वर्ल्ड प्रेस फ्रीडम इंडेक्स 2014 का सर्वे बताता है कि भारत विश्व के उन देशों में है जहां मीडिया को बहुत ही कम आजादी दी गई है। कुल 180 देशों में प्रेस फ्रीडम में भारतीय मीडिया को 140वें पायदान पर रखा गया है।


बना बहस का मुद्दा

इस सर्वे के आने से एक बार फिर बहस छिड़ गई है कि क्या भारतीय मीडिया को और आजादी दी जानी चाहिए?


पक्ष

मीडिया को सरकार या किसी भी तरह के दायरे से पूरी तरह स्वतंत्र रखे जाने की वकालत करने वाले लोग इसे लोकतंत्र का चौथा स्तंभ बताते हुए लोकतंत्र की भलाई तथा सही दिशा में इसे चलाने के लिए और आजादी दिए जाने की वकालत करते हैं।


विपक्ष

मीडिया की पूर्ण स्वतंत्रता पर आपत्तियां जताने वाले लोग मीडिया में बढ़ते येलो जर्नलिज्म को समाज और लोकतंत्र के लिए नुकसानदेह बताते हुए मीडिया पर अंकुश लगाने के पक्षधर हैं।


उपरोक्त मुद्दे के दोनों पक्षों पर गौर करने के बाद निम्नलिखित प्रश्न हमारे सामने आते हैं जिनका जवाब ढूंढ़ना नितांत आवश्यक है, जैसे:


1. क्या वर्ल्ड प्रेस फ्रीडम इंडेक्स के ताजा सर्वे को भारतीय मीडिया को स्वतंत्रता दिए जाने का आधार बनाया जाना चाहिए?

2. अगर वर्ल्ड प्रेस फ्रीडम इंडेक्स 2014 के सर्वे की बात भी करें तो भारतीय मीडिया की स्वतंत्रता न टॉप 10 में है, न निचले पायदान से टॉप 10 में है। क्या इस स्थिति को यहां की मीडिया की आदर्श स्थिति समझी जानी चाहिए जहां न वे बहुत स्वतंत्र हैं और न ही बहुत अधिक बंधे हुए?

3. क्या मीडिया के येलो जर्नलिज्म को रोकने के लिए प्रेस फ्रीडम पर अंकुश लगाना ही एकमात्र तरीका है और क्या यह एक लोकतांत्रिक देश के लिए सही होगा?


जागरण जंक्शन इस बार के फोरम में अपने पाठकों से इस बेहद महत्वपूर्ण और संवेदनशील मुद्दे पर विचार रखे जाने की अपेक्षा करता है। इस बार का मुद्दा है:


क्या भारतीय मीडिया को और आजाद होना चाहिए?


आप उपरोक्त मुद्दे पर अपने विचार स्वतंत्र ब्लॉग या टिप्पणी लिख कर जाहिर कर सकते हैं।


नोट:1. यदि आप उपरोक्त मुद्दे पर अपना ब्लॉग लिख रहे हैं तो कृपया शीर्षक में अंग्रेजी में “Jagran Junction Forum” अवश्य लिखें। उदाहरण के तौर पर यदि आपका शीर्षक “भारतीय मीडिया की आजादी”  है तो इसे प्रकाशित करने के पूर्व “भारतीय मीडिया की आजादी” – Jagran Junction Forum लिख कर जारी कर सकते हैं।

2. पाठकों की सुविधा के लिए Junction Forum नामक कैटगरी भी सृजित की गई है। आप प्रकाशित करने के पूर्व इस कैटगरी का भी चयन कर सकते हैं।

3. अगर आपने संबंधित विषय पर अपना कोई आलेख मंच पर प्रकाशित किया है तो उसका लिंक कमेंट के जरिए यहां इसी ब्लॉग के नीचे अवश्य प्रकाशित करें, ताकि अन्य पाठक भी आपके विचारों से रूबरू हो सकें।


धन्यवाद

जागरण जंक्शन परिवार

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