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सचिन के क्रिकेट से सन्यास लेने के अवसर पर भारत सरकार द्वारा उन्हें ‘भारत रत्न’ उपाधि से सम्मानित करने का फैसला एक ओर उनके प्रशंसकों द्वारा स्वागत योग्य माना जा रहा है वहीं दूसरी ओर यह फैसला एक राजनीतिक विवाद का रूप लेता नजर आ रहा है। भारत में जहां क्रिकेट राष्ट्रीय खेल न होकर भी लोकप्रियता के चरम पर है और सचिन तेंदुलकर क्रिकेट के भगवान माने जाते हैं, अवश्य ही उनके प्रशंसकों को विदाई के रूप में सचिन तेंदुलकर को मिले इस राजकीय सम्मान के तमाम पहलुओं की समीक्षा करने में कोई रुचि नहीं होगी। लता मंगेशकर समेत कई बड़ी हस्तियों ने भी सचिन को ‘भारत रत्न’ सम्मान दिए जाने का यह सही वक्त बताते हुए कांग्रेस सरकार के फैसले का स्वागत किया है। वस्तुत: भाजपा ने अटल बिहारी वाजपेयी को यह सम्मान न दिए जाने का मुद्दा उठाकर ‘भारत रत्न’ जैसे सम्मान पर परोक्ष रूप से कांग्रेस सरकार पर राजनीति करने का आरोप लगाया है।
इस मसले पर बुद्धिजीवियों के एक वर्ग का कहना है कि भाजपा के इन आरोपों की तार्किक विवेचना करें तो बहुत हद तक इससे सहमति मालूम पड़ती है। भारत रत्न एक ऐसी उपाधि है जो किसी व्यक्ति द्वारा किसी क्षेत्र के विकास में उसके विशेष योगदान के लिए दिया जाता है। राजनीतिक व्यक्तियों में अब तक जवाहर लाल नेहरू, इंदिरा गांधी समेत यह राजीव गांधी तक को दिया जा चुका है। गैर-राजनीतिक व्यक्तियों में भी भीमसेन जोशी से लेकर विस्मिल्लाह खान और अब उम्र के आधे पड़ाव में सचिन तेंदुलकर तक को मिल चुका है। किंतु अटल बिहारी वाजपेयी जिन्होंने भारतीय राजनीति में लंबे समय तक रहते हुए राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारत की पहचान बनाने में अपना उल्लेखनीय योगदान दिया, उन्हें आज तक इस उपाधि से वंचित रखा गया है। गौर करने वाली बात यह है कि इंदिरा गांधी जिनसे 1975का विवादास्पद आपातकाल और उसके साथ भारत की लोकतांत्रिक प्रणाली को खतरे में डालने का आरोप जुड़ा है, राजीव गांधी जिनसे बोफोर्स का विवाद जुड़ा है, तक को भारत रत्न मिल चुका है लेकिन अटल बिहारी वाजपेयी जिन्होंने भारतीय राजनीति में सक्रिय रहते हुए कई मामलों में भारत को राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई उन्हें इस सम्मान के लायक नहीं समझा गया। क्यों? ऐसे ही देश के और भी कई नायक रहे हैं जिन्होंने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत को नाम और शोहरत दिलवाया किंतु उनको भारत रत्न से आज तक महरूम रखा गया है।
वहीं दूसरी ओर कई ऐसे लोग हैं जो सचिन को ‘भारत रत्न’ दिए जाने का पुरजोर स्वागत कर रह हैं। इनका कहना है कि सचिन ने बहुत शीघ्र भारत सहित पूरी दुनिया में अपनी प्रतिभा का लोहा मनवा दिया। सचिन का योगदान अतुलनीय है और पूरा देश उन्हें भारत रत्न दिए जाने की मांग कर रहा था। ऐसे में यदि उन्हें तत्काल यह सम्मान नहीं प्रदान किया जाता तो यह सरासर देश की जनता का अपमान होता।
उपरोक्त बहस के बिंदुओं को देखते कुछ ऐसे महत्वपूर्ण सवाल सामने आते हैं जिन पर स्वस्थ विमर्श होना ही चाहिए:
जागरण जंक्शन इस बार के फोरम मेंअपने पाठकों से इस बेहद महत्वपूर्ण और संवेदनशील मुद्दे पर विचार रखे जाने की अपेक्षा करता है। इस बार का मुद्दा है:
क्या भारत रत्न के लिए नए सिरे से मानक तय किए जाने की जरूरत है?
आप उपरोक्त मुद्दे पर अपने विचार स्वतंत्र ब्लॉग या टिप्पणी लिख कर जाहिर कर सकते हैं।
नोट: 1. यदि आप उपरोक्त मुद्दे पर अपना ब्लॉग लिख रहे हैं तो कृपया शीर्षक में अंग्रेजी में “Jagran Junction Forum” अवश्य लिखें। उदाहरण के तौर पर यदि आपका शीर्षक “भारत रत्न” है तो इसे प्रकाशित करने के पूर्व भारत रत्न – Jagran Junction Forum लिख कर जारी कर सकते हैं।
2. पाठकों की सुविधा के लिए Junction Forum नामक कैटगरी भी सृजित की गई है। आप प्रकाशित करने के पूर्व इस कैटगरी का भी चयन कर सकते हैं।
धन्यवाद
जागरण जंक्शन परिवार
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