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देशहित के खिलाफ है आजाद सोशल मीडिया ?

जागरण जंक्शन फोरम
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मुजफ्फरनगर दंगों के बाद बुलाई गई राष्ट्रीय एकता परिषद की बैठक में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने अपनी चिंता जाहिर करते हुए सोशल मीडिया को आड़े हाथों लिया। उनका कहना था कि सोशल मीडिया का जिस तरह प्रयोग होना चाहिए वैसे नहीं हो पा रहा है। प्रधानमंत्री का कहना था कि युवाओं के लिए सोशल नेटवर्किंग साइटें जानकारियां प्राप्त करने और उन्हें साझा करने का अच्छा माध्यम साबित हो सकती हैं लेकिन इसका प्रयोग इस दिशा में नहीं हो पा रहा है। मुजफ्फरनगर दंगों के बाद उठी यह चर्चा कोई आज की बात नहीं है हर बार यही देखा जाता है कि जब भी कोई घटना घटित होती है तो उससे संबंधित चर्चाएं फेसबुक और ट्विटर जैसी सोशल नेटवर्किंग साइटों पर आम होने लगती हैं। दिल्ली गैंग रेप केस हो या फिर मुजफ्फरनगर में हुए दंगे, हर बार यही देखा जाता है कि कई बार सोशल नेटवर्किंग साइटों पर डाली गई जानकारियां व्यवस्थित माहौल को बिगाड़ने लगती हैं और समाज में एक अजीब से तनाव को जन्म दे देती हैं। महिलाओं की सुरक्षा और सांप्रदायिक सद्भाव दो ऐसे मुद्दे हैं जिस पर सोशल नेटवर्किंग साइटों पर होने वाली पोस्ट सबसे ज्यादा प्रभाव डालती हैं। हमारा समाज बहुत संवेदनशील है और कोई भी नकारात्मक या भ्रामक जानकारी समाज के लिए खतरा पैदा कर सकती है। ऐसे हालातों के मद्देनजर सोशल नेटविंग साइटों पर नियंत्रण और महिलाओं की सुरक्षा से जुड़ी उनकी भूमिका को लेकर एक बहस शुरू हो गई है।


बहुत से ऐसे लोग हैं जिनका मानना है कि फेसबुक, ट्विटर जैसी सोशल नेटवर्किंग साइट्स पर नियंत्रण की बात लोकतांत्रिक समाज को शोभा नहीं देती। लोकतंत्र में सभी को अपनी बात कहने का अधिकार है और इस उद्देश्य को पूरा करने के लिए सोशल नेटवर्क सबसे ज्यादा उपयोगी साबित होता है। जहां तक महिलाओं का मसला है तो ऐसी साइटों के माध्यम से वह अपने अधिकारों से संबंधित जानकारियां हासिल कर सकती हैं, अपनी बात अन्य लोगों को बता सकती हैं। वहीं दूसरी ओर इन सभी साइटों की ही वजह से आमजन अपने आसपास घट रही घटनाओं से परिचित होकर उन पर अपनी टिप्पणी कर सकते हैं, उनसे जुड़े पक्षों से अवगत हो सकते है। साथ ही सरकारी क्रियाकलापों और योजनाओं की जानकारी भी प्राप्त कर सकते हैं। इस वर्ग में शामिल लोग यह भी स्वीकार करते हैं कि हालांकि कुछ शरारती तत्व ऐसे हैं जो शांति व्यवस्था को आहत करने के लिए इन सोशल नेटवर्किंग साइटों का प्रयोग करते हैं लेकिन कुछ चुनिंदा लोगों की वजह से सोशल नेटवर्किंग को नियंत्रित करना सही नहीं है क्योंकि ये वो लोग हैं जो कोई ना कोई माध्यम ढूंढ़कर अपना मकसद पूरा कर ही लेंगे।


वहीं दूसरी ओर वे लोग हैं जिनका पक्ष है सोशल मीडिया को पूरी तरह नियंत्रित करना। इस वर्ग के लोगों का यह साफ कहना है कि बिना नियंत्रण के कभी कोई चीज लाभप्रद नहीं हो सकती। सोशल मीडिया पर प्रसारित सामग्रियों पर कोई निगरानी ना होने के कारण राष्ट्रीय अखंडता पर हर समय खतरा मंडराता रहता है। कभी भी कोई भी व्यक्ति कुछ भी ऐसा संचालित कर सकता है जो सामुदायिक या जातिगत भावनाओं को भड़का सकता है जिसकी वजह से सामाजिक ढांचा लड़खड़ा सकता है। सोशल मीडिया पर नियंत्रण रखने की मांग करने वालों का यह भी कहना है कि निजता का हनन, धार्मिक और सामाजिक भावनाओं को भड़काना, महिलाओं के विषय में भद्दी टिप्पणियां करना अनियंत्रित सोशल मीडिया का बड़ा दुष्प्रभाव है, जिसे दूर सिर्फ सोशल मीडिया को नियंत्रित कर के ही किया जा सकता है।


उपरोक्त चर्चा के दोनों पक्षों को जानने और समझने के बाद निम्नलिखित प्रश्न हमारे सामने उपस्थित हैं जिनका जवाब ढूंढ़ना हमारे लिए नितांत आवश्यक है, जैसे:

1. अनियंत्रित सोशल मीडिया शांति व्यवस्था के लिए किस प्रकार खतरा हो सकती है?

2. क्या सोशल मीडिया का उपयोग महिलाओं की सुरक्षा और उनकी अस्मिता के लिए खतरा है?

3. क्या नियंत्रित सोशल मीडिया लोकतंत्र के मूलभूत सिद्धांत के खिलाफ है?

4. क्या अभिव्यक्ति की आजादी के नाम पर किसी की निजता का हनन सही है?


जागरण जंक्शन इस बार के फोरम मेंअपने पाठकों से इस बेहद महत्वपूर्ण और संवेदनशील मुद्दे पर विचार रखे जाने की अपेक्षा करता है। इस बार का मुद्दा है:


देशहित के खिलाफ है आजाद सोशल मीडिया ?


आप उपरोक्त मुद्दे पर अपने विचार स्वतंत्र ब्लॉग या टिप्पणी लिख कर जाहिर कर सकते हैं।


नोट: 1. यदि आप उपरोक्त मुद्दे पर अपना ब्लॉग लिख रहे हों तो कृपया शीर्षक में अंग्रेजी में “Jagran Junction Forum” अवश्य लिखें। उदाहरण के तौर पर यदि आपका शीर्षक “सोशल मीडिया पर नियंत्रण” है तो इसे प्रकाशित करने के पूर्व सोशल मीडिया पर नियंत्रण Jagran JunctionForum लिख कर जारी करें।


2. पाठकों की सुविधा के लिए Junction Forum नामक कैटगरी भी सृजित की गई है। आप प्रकाशित करने के पूर्व इस कैटगरी का भी चयन कर सकते हैं।


धन्यवाद

जागरण जंक्शन परिवार

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