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क्या दुर्गा को मिली ईमानदारी की सजा या मामला कुछ और है?

जागरण जंक्शन फोरम
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यूपीए अध्यक्षा सोनिया गांधी द्वारा प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को दुर्गा शक्ति नागपाल के मामले में निष्पक्ष जांच करने जैसा पत्र भेजने के अगले ही दिन उत्तर प्रदेश में सत्तासीन समाजवादी पार्टी ने इस मसले पर अपना रुख और सख्त कर लिया है। उल्लेखनीय है कि कुछ दिन पहले गौतम बुद्ध नगर (उत्तर प्रदेश) के कादलपुर गांव में निर्माणाधीन मस्जिद की दीवार गिरवाने जैसे आरोप में राज्य सरकार ने जिले की एसडीएम दुर्गा शक्ति नागपाल को उनके पद से निलंबित कर दिया था। दुर्गा शक्ति नागपाल पर सांप्रदायिक भावनाओं को भड़काने का प्रयास करने से संबंधित चार्जशीट दायर कर दी गई है। इस मसले पर दुर्गा शक्ति नागपाल और उनके समर्थकों की ओर से जो कहा जा रहा है वो उपरोक्त आरोपों से बिल्कुल अलग है। दूसरे पक्ष का कहना है कि राज्य में अपने पैर पसारे रेत माफिया के खिलाफ कार्यवाही करने से रोकने के लिए दुर्गा शक्ति नागपाल को निलंबित किया गया है। यूं तो पहले भी नौकरशाहों को उनके पद से निलंबित किया जाता रहा है लेकिन दुर्गा शक्ति नागपाल के मुद्दे ने अब नौकरशाहों की कार्यवाही पर सरकार की दखलंदाजी जैसी नई बहस को जन्म दे दिया है।


सरकार का पक्ष है कि दुर्गा शक्ति नागपाल को राज्य में सांप्रदायिक भावनाओं को भड़काने के आरोप में निलंबित किया गया है और अगर कोई भी व्यक्ति राज्य की शांति और एकता को भंग करने की कोशिश करेगा तो उसके साथ ऐसा ही व्यवहार किया जाएगा। सरकार के सुर में सुर मिलाते हुए कई स्थानीय लोग भी इस बात पर एकमत हैं कि गौतम बुद्ध नगर की एसडीएम दुर्गा शक्ति नागपाल ने निर्माणाधीन मस्जिद की दीवार गिरवाने का निर्देश दिया था। सरकार के पक्ष में खड़े लोगों का कहना है कि जब-जब सरकार सही दिशा में जांच आगे बढ़ाती है तो कुछ लोगों द्वारा उसका विरोध किया ही जाता है। यह भी ऐसा ही एक मसला है लेकिन सरकार अपने स्टैंड से हटने वाली नहीं है।


वहीं दूसरी ओर पूर्व में निलंबित कई नौकरशाहों, जिन्हें जांच करने से रोकने के लिए निलंबित किया गया, का उदाहरण देते हुए दूसरे पक्ष का कहना है कि ऐसा पहली बार नहीं हुआ जब किसी ईमानदार अफसर को उसके पद से हटा दिया गया हो। सरकार नहीं चाहती कि कोई भी उसकी राह में रोड़ा बने इसीलिए वह हर रुकावट को हटा देती है। संजीव भट्ट, हर्ष मंदर आदि कुछ ऐसे उदाहरण हैं जिन्हें ईमानदारी के बदले में निलंबन हासिल हुआ। दुर्गा शक्ति नागपाल ने भी रेत माफियाओं के आगे झुकने से इनकार कर दिया था और इस इनकार की एवज में उन्हें सांप्रदायिक भावनाओं को भड़काने के आरोप में अपने पद से निलंबित कर दिया गया।


उपरोक्त मसले और इससे जुड़े दोनों पक्षों पर विचार करने के बाद निम्नलिखित प्रश्न हमारे सामने हैं, जिनका जवाब ढूंढ़ना हमारे लिए आवश्यक है, जैसे:

1. क्या वाकई दुर्गा शक्ति नागपाल और उनके जैसे कई नौकरशाहों को सिर्फ इसीलिए पद से निलंबित किया गया क्योंकि वह ईमानदारी से काम कर रहे थे?

2. मसले से जुड़े पक्षों की हकीकत ना समझ पाने के बावजूद सरकार पर संदेह करना कितना सही है?

3. क्या दुर्गा का निलंबन रेत माफिया और सरकार की सांठ-गांठ की वजह से ही हुआ है?

4. क्या भारत में ईमानदारी के ईनाम के रूप में निष्कासन और निलंबन ही मिलता है?


जागरण जंक्शन इस बार के फोरम में अपने पाठकों से इस बेहद महत्वपूर्ण और संवेदनशील मुद्दे पर विचार रखे जाने की अपेक्षा करता है। इस बार का मुद्दा है:

क्या दुर्गा को मिली ईमानदारी की सजा या मामला कुछ और है?


आप उपरोक्त मुद्दे पर अपने विचार स्वतंत्र ब्लॉग या टिप्पणी लिख कर जाहिर कर सकते हैं।


नोट:1. यदि आप उपरोक्त मुद्दे पर अपना ब्लॉग लिख रहे हैं तो कृपया शीर्षक में अंग्रेजी में “Jagran Junction Forum” अवश्य लिखें। उदाहरण के तौर पर यदि आपका शीर्षक “ईमानदारी की सजा” है तो इसे प्रकाशित करने के पूर्व ईमानदारी की सजा – Jagran Junction Forum लिख कर जारी कर सकते हैं।


2. पाठकों की सुविधा के लिए Junction Forum नामक कैटगरी भी सृजित की गई है। आप प्रकाशित करने के पूर्व इस कैटगरी का भी चयन कर सकते हैं।


धन्यवाद

जागरण जंक्शन परिवार

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