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पाकिस्तान के साथ क्रिकेट – आखिर क्यों है इतनी जल्दबाजी?

जागरण जंक्शन फोरम
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‘भारत एक शांतिपूर्ण राष्ट्र है’ यह बात भारतीय सरकार समय-समय पर अपनी सोच, व्यवहार और अपने निर्णय लेने की क्षमता से जाहिर कर देती है। इसकी एक मिसाल हाल के दिनों में देखने को मिली। पांच साल पहले मुंबई में तीन दिन तक तांडव मचाने वाले और देश की सुरक्षा व्यवस्था को तार-तार करने वाले आतंकवादियों को अब सरकार भुलाकर दुबारा पाकिस्तान के साथ संबंध को बहाल करने के पक्ष में दिखाई दे रही है। इसकी शुरुआत वह क्रिकेट से करना चाहती है। मुंबई हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच जो क्रिकेटीय संबंध समाप्त हो गए थे वह आने वाले दिसम्बर महीने में फिर से शुरू हो रहे हैं। इसको लेकर बीसीसीआई ने भी मंजूरी दे दी है और ऐसा माना जा रहा है केंद्र सरकार इससे पूरी तरह से सहमत है।


इस विषय के खिलाफ अपनी राय रखने वालों का मानना है कि क्रिकेट संबंध को बहाल करने में बीसीसीआई ने जो जल्दी दिखाई है वह काफी चौंकाने वाला है। मुंबई हमले जैसे गंभीर मुद्दे को बीसीसीआई ऐसे भुला गई जैसे कुछ हुआ ही नहीं। बीसीसीआई के इस व्यवहार से यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि वह दिवालिएपन के शिकार पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड को भारतीय धन से सींचना चाहती है। सरकार खासकर बीसीसीआई को उस देश की चिंता है जो कभी भी हमारे लिए विश्वासपात्र पड़ोसी साबित हुआ ही नहीं, जिसने समय-समय पर हमारे पीठ पीछे वार किया है और जो हर समय भारत की तरक्की से आगबबूला रहता है। 26/11 हमले की घटना को कई साल हो गए हैं लेकिन इस हमले के मास्टरमाइंड आज भी हमारी पहुंच से कोसों दूर हैं. वह कभी पकड़ में भी आएंगे यह निश्चित तौर पर नहीं कहा जा सकता।


वहीं इसके समर्थन में अपनी राय रखने वालों का कहना है कि इससे भारत-पाकिस्तान के संबंधों में काफी सुधार आएगा जो दोनों देशों के बीच बातचीत के जरिए सफल होती दिखाई नहीं दे रही थी। भारत-पाकिस्तान का मैच साधारण मैचों से काफी अलग होता है। स्टेडियम और स्टेडियम के बाहर इनके मैचों में रोमांच और पागलपन देखने को मिलता है. ऐसे में बीसीसीआई के इस निर्णय से एक बार फिर लोगों को रोमांच देखने को मिलेगा। खेल की कोई सरहद नहीं होती इसलिए हमें इस पहल का स्वागत करना चाहिए।


उपरोक्त चर्चा के बाद इस मसले से जुड़े निम्नलिखित प्रश्न हमारे सामने आते हैं जिनका जवाब ढूंढ़ना बहुत जरूरी है, जैसे:


1. क्या क्रिकेट मैत्री के बाद पाकिस्तान अपने यहां से संचालित आतंकवादी गतिविधियों पर लगाम लगाएगा?

2. क्या बीसीसीआई को पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड की चिंता है?

3. आखिर क्यों भारत सरकार पाकिस्तान की मंशा से अवगत होने के बावजूद उससे संबंध बनाने को उत्सुक रहती है?

4. क्या क्रिकेट समर्थक पाकिस्तान की ‘पीठ पीछे छुरा घोंप नीति’ को भूल चुके हैं?


आप उपरोक्त मुद्दे पर अपने विचार स्वतंत्र ब्लॉग या टिप्पणी लिख कर जाहिर कर सकते हैं।


नोट: 1. यदि आप उपरोक्त मुद्दे पर अपना ब्लॉग लिख रहे हों तो कृपया शीर्षक में अंग्रेजी में “Jagran Junction Forum” अवश्य लिखें। उदाहरण के तौर पर यदि आपका शीर्षक “भारत-पाक क्रिकेट संबंध” है तो इसे प्रकाशित करने के पूर्व भारत-पाक क्रिकेट संबंध – Jagran Junction Forum लिख कर जारी कर सकते हैं।


2. पाठकों की सुविधा के लिए Junction Forum नामक नयी कैटगरी भी सृजित की गई है। आप प्रकाशित करने के पूर्व इस कैटगरी का भी चयन कर सकते हैं।


धन्यवाद

जागरण जंक्शन परिवार


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