- 157 Posts
- 2979 Comments
आठ वर्ष के अपने कार्यकाल में अब तक कई आरोपों का सामना कर चुके भारतीय प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह एक बार फिर सवालों के घेरे में आ गए हैं। हाल ही में अमेरिका की बेहद लोकप्रिय और विश्वसनीय समझी जाने वाली टाइम मैगजीन ने मनमोहन सिंह को अंडर अचीवर करार दिया है। मैन इन शैडो नाम से प्रकाशित इस रिपोर्ट में डॉ मनमोहन सिंह की काबिलियत और कांग्रेस को संकट से उबारने के लिए उनकी गंभीरता पर सवालिया निशान लगाया गया है। इस अमेरिकी रिपोर्ट के प्रकाशित होने के बाद यूपीए गठबंधन तो मनमोहन सिंह के बचाव में आगे आया ही है साथ ही बहुत से ऐसे लोग भी हैं जो इसे भारतीय प्रधानमंत्री की गरिमा पर हुआ आघात मान रहे हैं। वहीं दूसरी ओर विपक्ष सहित बुद्धिजीवियों का एक वर्ग ऐसा भी है जो इस रिपोर्ट का पक्ष लेते हुए मनमोहन सिंह को एक असफल प्रधानमंत्री करार दे रहा है।
प्रधानमंत्री को अंडर अचीवर मानने वाले लोगों का यह कहना है कि शुरुआती दौर में मनमोहन सिंह के भीतर जो आत्मविश्वास दिखाई देता था वह अब पूरी तरह नदारद है। वह ना तो अपने मंत्रियों पर नियंत्रण रख पाने में सक्षम हैं और ना ही उनके शासनकाल में होने वाले घोटालों के बारे में ही उनके पास कोई जवाब है। 2जी स्पेक्ट्रम घोटाला, कॉमनवेल्थ गेम्स में हुई धांधली जैसे आरोपों में उनके कैबिनेट मंत्री शामिल रहे हैं परंतु फिर भी वह किसी भी प्रकार की ठोस कार्यवाही नहीं कर पाए हैं। इस बात में कोई दो राय नहीं है कि भारतीय प्रधानमंत्री इतने स्वतंत्र भी नहीं हैं कि वह कोई निर्णय ले पाएं, उन्हें हर समय कांग्रेस आलाकमान के आदेशों पर ही निर्भर रहना पड़ता है। वह जिस पद पर हैं और उन्हें जिस जिम्मेदारी से नवाजा गया है उसमें उनका हर समय मौन रहना उनकी असहाय छवि को ही प्रदर्शित करता है।
जहां एक तरफ मनमोहन सिंह को अंडर-अचीवर और असफल करार देने वाले लोग हैं वहीं दूसरी ओर बुद्धिजीवियों का एक वर्ग ऐसा भी है जो मनमोहन सिंह के विरुद्ध प्रकाशित इस रिपोर्ट को एक राजनैतिक साजिश कह रहा है। ऐसे लोगों का मानना है कि जब यूपीए गठबंधन को बहुमत मिलने के बाद भी सोनिया के विदेशी मूल के होने जैसे मुद्दे के कारण देश भर में कांग्रेस विरोधी माहौल बना हुआ था उस समय कांग्रेस को मनमोहन सिंह के रूप में एक सर्व स्वीकृत चेहरा मिला। उन्हें 8 सालों की सत्ता के बावजूद व्यक्तिगत रूप से भ्रष्टाचार मुक्त प्रधानमंत्री होने का गौरव भी प्राप्त है। भले ही उन पर मौन रहने जैसे आरोप लगाए गए हैं लेकिन कई बार उनकी यही मौन और मूक छवि देश को संकट से उबारने में सहायक हुई है। उनकी यह मौन मुद्रा विवादों को गर्म नहीं होने देती। देश की आर्थिक स्थिति को बिगाड़ने का दोष तथ्यों के आलोक में गलत साबित हुआ है क्योंकि वैश्विक मंदी की आपाद् स्थिति के बावजूद देश के भीतर उन्होंने आर्थिक संतुलन बनाए रखा। उनके प्रयासों के द्वारा देश में कभी भी औद्योगिक और व्यापारिक गतिविधियां शिथिल नहीं पड़ीं। जहां एक ओर अधिकांश संपन्न देश मंदी का सामना कर रहे थे वहीं भारत में सकल घरेलू उत्पाद और प्रति व्यक्ति आय में कम ही सही लेकिन निरंतर बढ़ोत्तरी ही हुई है। ऐसे में यह सोचना कतई गलत नहीं होगा कि मनमोहन सिंह को अंडर अचीवर कहना निश्चित ही किसी उद्देश्य से प्रेरित राजनैतिक वक्तव्य ही है।
उपरोक्त चर्चा के बाद इस मसले से जुड़े निम्नलिखित प्रश्न हमारे सामने आते हैं जिनके जवाब ढूंढ़ना देशहित में बहुत जरूरी है, जैसे:
1. क्या भारतीय प्रधानमंत्री के लिए ‘अंडर अचीवर’ जैसे शब्दों का प्रयोग करना एक सही मूल्यांकन है?
2. क्या मनमोहन सिंह की व्यक्तिगत छवि को देखते हुए सत्ता के भीतर उनकी असफलता को नजरअंदाज किया जा सकता है?
3. क्या वाकई आठ साल लंबे अपने शासनकाल में किसी भी क्षेत्र में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह खुद को योग्य साबित नहीं कर पाए हैं?
जागरण जंक्शन इस बार के फोरम में अपने पाठकों से इस बेहद महत्वपूर्ण और संवेदनशील मुद्दे पर विचार रखे जाने की अपेक्षा करता है। इस बार का मुद्दा है:
“अंडर अचीवर” प्रधानमंत्री – अयोग्यता का प्रमाण या गरिमा के साथ खिलवाड़ ?
आप उपरोक्त मुद्दे पर अपने विचार स्वतंत्र ब्लॉग या टिप्पणी लिख कर जाहिर कर सकते हैं।
नोट: 1. यदि आप उपरोक्त मुद्दे पर अपना ब्लॉग लिख रहे हों तो कृपया शीर्षक में अंग्रेजी में “Jagran Junction Forum” अवश्य लिखें। उदाहरण के तौर पर यदि आपका शीर्षक “यूपीए सरकार” है तो इसे प्रकाशित करने के पूर्व यूपीए सरकार – Jagran Junction Forum लिख कर जारी कर सकते हैं।
2. पाठकों की सुविधा के लिए Junction Forum नामक नयी कैटगरी भी सृजित की गई है। आप प्रकाशित करने के पूर्व इस कैटगरी का भी चयन कर सकते हैं।
धन्यवाद
जागरण जंक्शन परिवार
Read Comments