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महाराष्ट्र की राजनीति में निरंतर अपने आप को प्रासंगिक बनाए रखने की कोशिश करते हुए शिव सेना ने एक बार फिर मुंबई में रह रहे उत्तर भारतीयों को निशाना बनाया है। शिव सेना प्रमुख बाल ठाकरे ने अपने तेवर दिखाते हुए पार्टी के मुखपत्र ‘सामना’ में लिखा है कि मुंबई पर पहला हक मराठियों का है। इससे कुछ ही समय पूर्व राज ठाकरे भी मुंबई की सड़कों पर उत्तर भारतीय टैक्सी चालकों के खिलाफ काफी हल्ला बोल कर चुके हैं।
चाहे बाल ठाकरे हों या राज ठाकरे, दोनों ही मुंबई और महाराष्ट्र की राजनीति में अपना वर्चस्व कायम करने के लिए मराठी बनाम उत्तर भारतीय का विवाद भड़काते रहे हैं जिस पर पूरे देश में जब-तब बहस भी होती रही है। देश के कुछ अन्य भागों में भी ऐसे मामले गाहे-बेगाहे सामने आते रहे हैं जिनमें स्थानीय और बाहरी का विवाद उठता रहा है। इस बार भी शिव सेना प्रमुख के इस बयान ने खासा विवाद पैदा कर दिया है जिस पर पक्ष और विपक्ष में अलग-अलग राय सामने आ रही है।
इस मुद्दे पर मानवाधिकार व संवैधानिक व्यवस्था के समर्थकों का मानना है कि राष्ट्र ने लोकतांत्रिक संवैधानिक व्यवस्था को स्वीकार किया है जिसके तहत किसी भी व्यक्ति को देश के भीतर कहीं भी आने-जाने, बसने व रोजगार का पूर्ण अधिकार है। साथ ही ऐसे लोग यह भी मानते हैं मराठी बनाम उत्तर भारतीय जैसी बातों को हवा देने का अर्थ है देश में लोगों के भीतर भाषाई आधार पर गहरी खाई पैदा करना और इसे हर हाल में रोका जाना चाहिए।
वहीं ऐसे भी लोग हैं जो बाल ठाकरे और राज ठाकरे के इन कदमों की प्रशंसा करते हैं। ऐसे लोग ये मानते हैं कि मुंबई हो या कोई अन्य स्थान, वहां के संसाधनों व अवसरों पर उस स्थान की जनता का पहला अधिकार होता है और इस अधिकार का अतिक्रमण हर हाल में रोका जाना चाहिए। ऐसे लोग देश में इस तरह के कड़े कानून लाए जाने के भी पक्षधर हैं जिसमें मूल निवासियों के हकों की रक्षा का प्रावधान हो। यही कारण है कि ऐसे लोगों को मराठी बनाम उत्तर भारतीय विवाद, मराठियों के हक के लिए उठाई गई आवाज लगती है।
उपरोक्त विवाद और मुद्दे की गंभीरता को देखते हुए कुछ ज्वलंत प्रश्न हमारे सामने खड़े होते हैं, जैसे:
1. क्या क्षेत्रवाद किसी क्षेत्र के विकास के लिए जरूरी है?
2. क्या बाल या राज ठाकरे का यह कदम मराठियों के हित में है?
3. “स्थानीय बनाम बाहरी” जैसे मामले राजनीति प्रेरित होते हैं या जनहित प्रेरित?
4. क्या भेदभाव वाली राजनीति करने वाले समूहों और व्यक्तियों को प्रतिबंधित कर दिया जाना चाहिए?
जागरण जंक्शन इस बार के फोरम मेंअपने पाठकों से इस बेहद महत्वपूर्ण और संवेदनशील मुद्दे पर विचार रखे जाने की अपेक्षा करता है। इस बार का मुद्दा है:
मराठी बनाम उत्तर भारतीय – राजनीतिक दुराग्रह या हक की लड़ाई
आप उपरोक्त मुद्दे पर अपने विचार स्वतंत्र ब्लॉग या टिप्पणी लिख कर जाहिर कर सकते हैं।
नोट: 1.यदि आप उपरोक्त मुद्दे पर अपना ब्लॉग लिख रहे हों तो कृपया शीर्षक में अंग्रेजी में “Jagran Junction Forum” अवश्य लिखें। उदाहरण के तौर पर यदि आपका शीर्षक “मराठी बनाम उत्तर भारतीय” है तो इसे प्रकाशित करने के पूर्व मराठी बनाम उत्तर भारतीय – Jagran JunctionForum लिख कर जारी करें।
2.पाठकों की सुविधा के लिए Junction Forum नामक नयी कैटगरी भी सृजित की गई है। आप प्रकाशित करने के पूर्व इस कैटगरी का भी चयन कर सकते हैं।
धन्यवाद
जागरण जंक्शन परिवार
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