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अन्ना हजारे एक ऐसी शख्सियत के रूप में उभर कर सामने आ रहे हैं जिसके अंदर सत्ता को झुका कर अपनी बातें मनवाने की क्षमता है। भ्रष्टाचार के विरुद्ध सशक्त लोकपाल की मांग को लेकर अन्ना ने जो मुहिम चलाई उसका असर राष्ट्रव्यापी हो गया और स्वतः-स्फूर्त तरीके से लोग बड़ी संख्या में आंदोलन में शामिल नजर आने लगे हैं। लोकपाल के लिए अन्ना के पहली बार के अनशन के दौरान भी सरकार झुकी और दूसरी बार अनशन के पूर्व उन्हें गिरफ्तार करने के बाद सरकार की काफी किरकिरी हुई और आखिरकार सरकार को उन्हें रिहा करना पड़ा। अन्ना इससे पूर्व भी तमाम भ्रष्टाचारियों और भ्रष्टाचार के विरुद्ध अनशन और सत्याग्रह के अनेक प्रयोग कर चुके हैं जिसमें से ज्यादातर में उन्हें सफलता मिली।
संघर्ष के लिए अन्ना के सत्याग्रह और अनशन के तरीकों और उनके गांधीवादी विचारों के कारण तमाम लोग उन्हें “दूसरे गांधी” जैसे उपनाम से पुकारने लगे हैं। अन्ना को दूसरा गांधी मानने वाले लोगों का कहना है कि अन्ना का त्याग, समर्पण और शांतिपूर्वक अहिंसक आंदोलन चलाने की कुशलता के साथ ही उनकी राष्ट्र और मानवता के प्रति अटूट निष्ठा उन्हें दूसरा गांधी बनाती है।
लेकिन वहीं दूसरी ओर ऐसे भी लोग हैं जिन्हें अन्ना को दूसरा गांधी कहे जाने पर आपत्ति है। ऐसे लोगों, जिनमें खुद गांधी के प्रपौत्र तुषार भी शामिल हैं, का मानना है कि अन्ना के व्यक्तित्व और कद की गांधी से तुलना निरर्थक है क्योंकि गांधी का सत्याग्रह और अनशन, अन्ना के सत्याग्रह और अनशन से अपने प्रारूप और तौर-तरीकों में अलग था। गांधी कर्ता भाव से मुक्त थे और अपने आप को सिर्फ माध्यम मानते थे। यानि गांधी अहंकार से परे होकर अपने कार्यों को अंजाम देते थे जबकि अन्ना के तौर-तरीके उनकी जिद और अहंकार को दर्शाते हैं।
इस माहौल में अन्ना के व्यक्तित्व और कृतीत्व सहित उनके तौर-तरीकों की महात्मा गांधी से तुलना के संदर्भ में कुछ सवाल उठते हैं:
1. क्या अन्ना हजारे का सत्याग्रह और अनशन का तरीका गांधी के सत्याग्रह और अनशन से भिन्न है?
2. क्या अन्ना को “दूसरा गांधी” कहना उपयुक्त होगा?
3. क्या अन्ना अपने काम व फैसलों में अपने अहम को परे रख पाते हैं?
4. आज के भौतिकता प्रधान युग में, जबकि ज्यादातर लोग सिर्फ स्वार्थों में संलिप्त हैं, अन्ना का त्याग और समर्पण उन्हें किस सीमा तक महान बनाता है?
जागरण जंक्शन इस बार के फोरम मेंअपने पाठकों से इस बेहद महत्वपूर्ण और संवेदनशील मुद्दे पर विचार रखेजाने की अपेक्षा करता है। इस बार का मुद्दा है:
क्या अन्ना हमारे दौर के गांधी हैं ?
आप उपरोक्त मुद्दे पर अपने विचार स्वतंत्र ब्लॉग या टिप्पणी लिख कर जाहिर कर सकते हैं।
नोट: 1.यदि आप उपरोक्त मुद्दे पर अपना ब्लॉग लिख रहे हों तो कृपया शीर्षक में अंग्रेजी में “Jagran Junction Forum” अवश्य लिखें। उदाहरण के तौर पर यदि आपका शीर्षक “अन्ना का गांधीवाद” है तो इसे प्रकाशित करने के पूर्व अन्ना का गांधीवाद – Jagran JunctionForum लिख कर जारी करें।
2.पाठकों की सुविधा के लिए Junction Forum नामक नयी कैटगरी भी सृजित की गई है। आप प्रकाशित करने के पूर्व इस कैटगरी का भी चयन कर सकते हैं।
धन्यवाद
जागरण जंक्शन परिवार
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