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अन्ना की रणनीति या रामदेव की दुराग्रह नीति !!

जागरण जंक्शन फोरम
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गत दिनों भारतीय सत्ता प्रतिष्ठान ने अपनी करतूतों से अपना मंतव्य जाहिर कर दिया. योगाचार्य के सत्याग्रह आह्वान पर सरकारी बल प्रयोग ने पूरे देश की जनता को हिला डाला. तानाशाह सरकार के बड़बोले सलाहकार सत्याग्रह की पूरी नीति के विरुद्ध बयानबाजी पर उतर आए. फिर भी लाचार प्रधानमंत्री की हालत जस की तस बनी रही और वे अपनी पूर्व निर्मित छवि के अनुसार मूकदर्शक बने रहे.


इस बीच देश में अन्ना हजारे और बाबा रामदेव के अनशन और सत्याग्रह के तौर तरीकों को लेकर भारी बहस छिड़ गयी. अन्ना हजारे ने जंतर मंतर पर एक शांतिपूर्ण अहिंसक सत्याग्रह का आयोजन किया था जिसके सामने सरकार को तत्काल दिखावे के लिए ही सही लेकिन झुकने का नाटक करना पड़ा. साथ ही, अन्ना के अनशन पर देश का बुद्धिजीवी वर्ग भी काफी उत्साहपूर्ण और सकारात्मक प्रतिक्रिया कर रहा था किंतु वहीं जब बाबा रामदेव ने रामलीला मैदान में हजारों समर्थकों के हुजूम के साथ अनशन ठाना तो सरकार से सहन नहीं हुआ और उसने बल प्रयोग द्वारा आंदोलनकारियों को दिल्ली से बाहर फेंक डाला. सरकार का यह कदम हैरतंगेज तो था ही किंतु आश्चर्य की बात तब नजर आयी जबकि देश का बुद्धिजीवी कहा जाने वाला तबका बाबा रामदेव के आंदोलन के तौर तरीकों को लेकर सवाल उठाने लगा.


देश के अधिकांश बुद्धिजीवी इस बात पर एकमत नजर आए कि बाबा रामदेव की महत्वाकांक्षा उनकी नीयत पर सवाल खड़ा करती है. लोगों ने ये तक आरोप लगाया कि अनशन और सत्याग्रह के आयोजन में बाबा रामदेव का अहंकार नजर आता है ना कि उनकी भ्रष्टाचार के खिलाफ शुद्धचित्तता. यानि बाबा रामदेव ने अन्ना हजारे द्वारा चलाए गए मुहिम से बने माहौल का राजनीतिक लाभ लेने के लिए थोड़े ही समयांतराल के पश्चात पुनः सत्याग्रह का आयोजन किया जो कि अनौचित्यपूर्ण था.


अन्ना हजारे के अनशन के बारे में बुद्धिजीवी तबका इस हद एकमत रहा कि एकबारगी तो इस तबके की मंशा पर ही संदेह होने लगता है. अन्ना के अनशन की तारीफ के पुलिंदे बांधे गए और कई जगहों पर तो इसे महात्मा गांधी की वास्तविक रणनीति की तरह असरदार भी बताया गया. जबकि बाबा रामदेव की रणनीति की अनेकानेक कारणों का हवाला देते हुए आलोचना की जाने लगी.


ऐसे में भ्रष्टाचार के विरुद्ध आयोजित किए गए दो आंदोलनों की रणनीति और उनके कर्णधारों की स्थिति पर कई सवालात उठने लाजमी हैं यथा:


क्या बाबा रामदेव और अन्ना हजारे की देश, काल और परिस्थिति के बारे में अंदाजा लगा पाने की क्षमता में ज्यादा फर्क है?


क्या बाबा रामदेव की सत्याग्रह आयोजित करने के पीछे की मंशा राजनीतिक है?


क्या अन्ना हजारे अपनी नीयत और रणनीति को लेकर संदेह से परे हैं?


क्या बाबा रामदेव ने सत्याग्रह के मूल सिद्धांत पर कुठाराघात किया है?


जागरण जंक्शन इस बार के फोरम में अपने पाठकों से राष्ट्रहित और व्यापक जनहित के इसी मुद्दे पर विचार रखे जाने की अपेक्षा करता है. इस बार का मुद्दा है:


अन्ना की रणनीति या रामदेव की दुराग्रह नीति !!


आप उपरोक्त मुद्दे पर अपने विचार स्वतंत्र ब्लॉग या टिप्पणी लिख कर जारी कर सकते हैं.


नोट: 1. यदि आप उपरोक्त मुद्दे पर अपना ब्लॉग लिख रहे हों तो कृपया शीर्षक में अंग्रेजी में “Jagran Junction Forum” अवश्य लिखें. उदाहरण के तौर पर यदि आपका शीर्षक “अन्ना हजारे बनाम बाबा रामदेव” है तो इसे प्रकाशित करने के पूर्व अन्ना हजारे बनाम बाबा रामदेव – Jagran JunctionForum लिख कर जारी करें.

2. पाठकों की सुविधा के लिए Junction Forum नामक नयी कैटगरी भी सृजित की गयी है. आप प्रकाशित करने के पूर्व इस कैटगरी का भी चयन कर सकते हैं.


धन्यवाद

जागरण जंक्शन टीम


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