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भ्रष्टाचार विश्वव्यापी समस्या तो है ही किन्तु भारत में ये बीमारी कुछ ज्यादा ही गंभीर हो चली है. हाल ही हुए कामनवेल्थ, 2-जी स्पेट्रम जैसे घोटालों ने ये साबित कर दिया है कि राजनीतिज्ञों और भ्रष्टाचार का चोली-दामन का साथ हो चुका है और देश ने यदि जल्द ही कोई उपाय नहीं किए तो फिर भारत को विश्व पटल पर शक्तिशाली और विकसित देश बनाने का सपना, सपना ही रह जाएगा.
राजनैतिक-प्रशासनिक और आपराधिक गठजोड़ भ्रष्टाचार में वृद्धि के लिए सबसे ज्यादा उत्तरदाई हैं और इसमें कमी लाने के लिए जनलोकपाल क़ानून की दिशा में प्रयास किए जा रहे हैं. साथ ही लोगों की अपने क्षुद्र स्वार्थों के लिए भ्रष्टाचार में संलिप्तता स्थिति को और भी गंभीर बनाती है.
जागरण जंक्शन अपने पाठकों से ये सवाल करता है कि अनियंत्रित रूप से फैलते जा रहे भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने के लिए कौन से प्रभावी उपाय हो सकते हैं? क्या भ्रष्टाचार को पूरी तरह खत्म किए जाने की कोई गुंजाइश है?
नोट: जागरण जंक्शन फोरम में भाग लेने के लिए आप इस मुद्दे पर अपने विचार टिप्पणी या स्वतंत्र ब्लॉग के रूप में जारी कर सकते हैं.
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